965711618152648 मुसाफ़िर-कल भी आज भी - मीनू लोढ़ा
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मुसाफ़िर-कल भी आज भी - मीनू लोढ़ा


🌈 जीवन के अपने रंग हैं, इसका अपना सौन्दर्य है। यह शब्द केवल जीवन की एक कविता के रूप में नहीं, बल्कि हमारे जीवन के सतत गुज़रते वक्त के मूल्यवान सदाचार के एक प्रतीक के रूप में है।


🔄 जीवन की एक अद्वितीय खूबी यह है कि यह कभी भी एक-सा नहीं रहता, बल्कि समय और जीवन की अद्भुत और अनकही प्रतिस्पर्धा चलती रहती है।


🚀 जीवन का सफर उद्भव से अंत तक अनगिनत परिपक्षयों, सफलताओं, और अच्छाइयों का साक्षी होता है।


🌼 'मुसाफ़िर-कल भी आज भी' के माध्यम से, जीवन के इस अनूठे सफर की कहानी को व्यक्त करने का प्रयास किया गया है, जहां हम खुद को ढूंढ़ते हैं और इसे अनुभव करते हैं।


📖 यह कविता संग्रह वाकई हमारे जीवन की यात्रा के महत्वपूर्ण हिस्से को प्रकट करता है और हमें उसे सही दिशा में सोचने के लिए प्रोत्साहित करता है।


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